A SIMPLE KEY FOR SIDH KUNJIKA UNVEILED

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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥

दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

इसके प्रभाव से जातक website उच्चाटन, वशीकरण,  मारण, मोहन, स्तम्भन जैसी सिद्धि पाने में सफल होता है.

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